मेरे दर्द को रोज सुनते हो आप, आज आप कुछ लिखो मैं सुनूंगा
कभी झुकने की तमन्ना कभी कड़वा लहजा अपनी उलझी हुयी आदतों पे रोना आया
ना जाने इस ज़िद का नतीज़ा क्या होगा.. समझता दिल भी नहीँ वो भी नहीँ मैँ भी नहीँ..
~Kuch Gham Nahi us Se Bichar Jane Ka, Afsoos Itna Hai Mera Ho Ke Bhi Mera Na Ho Saka .. Continue Reading..
किस्मत तो लिखी थी मेरी सोने की कलम से, पर इसका क्या करें कि स्याही में ज़हर था..
Bhula dia hota use kab ka ae dost.. kaash ki usne kaha na hota ki mujhe kabhi bhul mat jana.
उन्हें वहम है कि बस मुँह फेरकर भुला पाएँगे हमें …. कोई समझाए कि आँखें मूँदने से रात नहीं हुआ Continue Reading..
मन्दिर मस्जिद सी थी मोहब्बत मेरी, बेपनाह इबादत थी फिर भी एक न हो सके
~ Zindgi Chain Se Guzar Jaye Tu Agr Jehn Se Nikl Jaye .. ^
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