वो बड़े घर की थी साहब, . छोटे से दिल में कैसे रहती.
उन्हें शिकायतों से शिकायत रहने लगी है, अब हम शिकायत जो नहीं करते!
तुमसे ऐसा भी क्या रिश्ता हे? दर्द कोई भी हो.. याद तेरी ही आती हे।
~Hum To Agaaz’E-Mohabbat Mein Hi Lutt Gy, Log Toh Kehte The Ke Anjaam Bura Hota Haii .. ‘
अपने Attitude का ऐसा अंदाज रखो जो तुम्हे ना समझे, उसे नजर अंदाज रखो…
~Khushiya Toh Taqdeer Meiin Honi Chahiye, Tasver Meiin Toh Har Koi Muskurata Haii .. ‘
~Kheench Letii Haii Mujhe Unkii Mohabbat Har Bar, Warna Bohat Baar Mile The Unse Akhir Bar .. ‘
मेरे कंधे पर कुछ यूँ गिरे तेरे आंसू, कि सस्ती सी कमीज़ अनमोल हो गयी.!!
एक सफ़र ऐसा भी होता है दोस्तों, जिसमें पैर नहीं दिल थक जाता है…
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