इक झलक जो मुझे आज तेरी मिल गयी मुझे फिर से आज जीने की वजह मिल गयी
तेरा ख्याल दिल से मिटाया नहीं अभी, बेवफा मैंने तुझ को भुलाया नहीं अभी।
ठुकराया हमने भी बहुतों को है…तेरी खातिर,,, तुझसे फासला भी शायद…उन की बददुआओं का असर हैं …!!!!
कभी झुकने की तमन्ना कभी कड़वा लहजा अपनी उलझी हुयी आदतों पे रोना आया
हमारे कत्ल के लीऎ तो मीठी जुबांन ही काफी है… अजिब शक्स थे वो जो खंजर तलाश रहे थे..!
उसे अपना कहने की बड़ी तमन्ना थी दिल मे, इससे पहले बात लबो पर आती वो गैर हो गये ॥
अब ऩ कोई हमे अपनेपन का यकीन दिलाये, हमें रूह में भी बसा कर निकाला है लोगो ने..
नाज़ुक लगते थे जो हसीन लोग, वास्ता पड़ा तो पत्थर के निकले.
तमननाओ की महफिल तो हर कोई सजाता है पर . पुरी उसी की होती जो तकदीर लेकर आता है
Your email address will not be published. Required fields are marked *
Comment *
Name *
Email *