आज तक कायम है उसके लौट आने की उम्मीद आज तक ठहरी है जिंदगी अपनी जगह
मजबुरीयां तुमहारी थी और देख …!! तनहा हम हाे गऐ
दोस्त को दौलत की निगाह से मत देखो , वफा करने वाले दोस्त अक्सर गरीब हुआ करते हैं….!!
दो चार नहीं…मुझे सिर्फ एक दिखा दो… वो शख्स…जो अन्दर भी बाहर जैसा हो… !
खवाहिश नही मुझे मशहुर होने की … आप मुझे पहचानते हो बस इतना ही काफी है…
Yahan Behtar Hai Apni Zaat Ka Hamdard Ho Jana Zamana Gham To De Sakta Hai Gham-Khawari Nahi Karta
इतना सितम से पहले सोचा भी नहीं उसने, मैं सिर्फ दीवाना नहीं.. इंसान भी था
जिंदगी अगर समझ ना आयी,तो मेले में अकेला, अगर समझ आ गई…….तो अकेले में मेला.
दश्त था, सेहरा था, तन्हाई थी, वीरानी थी, अपने ही अपने नही थे…बस यही हैरानी थी.
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