एहसान जताना जाने कैसे सीख लिया.. मोहब्बत जताते तो कुछ और बात थी।
Ungliyan thak gayi patthar tarashte tarashte, Jab surat bani yaar ki toh kharidaar aa gaye..
*तलब ये है कि…. मैं सर रखूँ तेरे सीने पे* *और तमन्ना ये कि….मेरा नाम पुकारती हों धड़कनें तेरी*
यूँ तो कोई शिकायत नहीं मुझे तेरे आज से, मगर कभी – कभी बिता हुआ कल याद आता है..
“दुखो के बोझ में ज़िन्दगी कुछ इस तरह डूबे जा रही हैं की मेरी हर एक चाहत, हर एक आस Continue Reading..
हाथ की लकीरें भी कितनी अजीब हैं, हाथ के अन्दर हैं पर काबू से बाहर…
नफरतें जला रही लोगों को बुरी तरह ….. आग को तो यूँ ही बदनाम कर रहे हैं हम …!
ऐसा तो नहीं कि ये ज़िन्दगी हमको प्यारी नहीं,. वो अलग बात है कि तुम्हारे बिना ये हमारी नहीं….
गुनाह नहीं होगा तेरे नाम के साथ अपना नाम जोड़ना,,, बस डर ये है कि तुझे कोई बदनाम ना करे……
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