दुआ का यूँ तो कोई रंग नहीं होता मगर दुआ रंग जरुर लाती है
खुदा कि बंदगी कुछ अधुरी रह गयी, तभी तेरे मेरे बीच ये दूरी रह गयी.
ए मुसीबत जरा सोच के आन मेरे करीब, कही मेरी माँ की दुवा तेरे लिए मुसीबत ना बन जाये.
उन्हें देखने सो जो आ जाती है चेहरे पे रौनक, वो समझते हैं की बीमार का हाल अच्छा है ..
Main nai chahta khuda k zindgi 100 saal ki de, Thodhi hi sahi par…….. jo bhi de kamaal ki de
~जाते वक्त उसने मुजसे अजीब सी बात कही ” तुम जिंदगी हो मेरी, और मुझे मेरी जिंदगी से नफरत है
तुम साथ हो तो मुकद्दर पे हकुमत हैं अपनी। बिन तेरे ज़िन्दगी की औकात ही क्या हैं।।
जब सुकून नही मिलता दिखावे की बस्ती में… तब खो जाता हूँ मेरे महाकाल की मस्ती में…
Ab to shayed hi mujhse mohabbat kare koi, Meri ankhon mein tum saaf nazar aate ho..
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