खुदा कि बंदगी कुछ अधुरी रह गयी, तभी तेरे मेरे बीच ये दूरी रह गयी.
दर्द तो ऐसे पीछे पड़ा है मेरे,* *जैसे मैं उसकी पहली मोहब्बत हूँ !!*
मुहब्बत है गर, तो मिज़ाज ज़रा नर्म रक्खो हुज़ूर.. ज़िद्दी होने से, इश्क़ के सुकून में ख़लल पड़ता है..
Muhabbat kesi bhi h0 Sahib…! Sajda kerna sikha deti hai…!
..जब था तो बहुत पुख्ता था , एक शख़्स से रिश्ता…. ….टुटा है , तो अब टुकड़े संभाले नहीं जाते…
मेरे जख्मी दिल को छुआ ना करो… मरजाने दो मुझको जीने की दुआ ना करो…
कोई सुलह करा दे जिदंगी की उलझनों से… बड़ी तलब लगी है आज मुस्कुराने की
जा और कोई ज़ब्त की दुनिया तलाश कर ऐ इश्क़ हम तो अब तेरे काबिल नहीं रहे।
दिल की बात साफ़ साफ़ बता देनी चाहिए ,,,, क्योंकि बता देने से फैसले होते हैं और ना बताने से Continue Reading..
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