सब मशरूफ थे नया साल मनाने में मैंने मेरी रूठी खुशियों को मना लिया..
मैं बुरा हूँ तो बुरा ही सही… …. कम से कम “शराफत” का दिखावा तो नहीं करता
हसरतें आज भी खत लिखती हैं मुझे, पर मैं अब पुराने पते पर नहीं रहती ।।
तन्हाई की सरहदें और भीगी पलके….!! हम लुट जाते हैं, रोज तुम्हें याद करके….!
अगर में कहुँ उदास हु तुम बिन तो तुम लौट आओगी ना
ख्वाब मत बना मुझे सच नहीं होते, साया बना लो मुझे साथ नहीं छोडेंगे..!!
दाग़ तो रूह पर भी आ जाता है, जब दिलों में दिमाग़ आ जाता है
~Seene Ke Andr Kuch Toot Sa Geya, Haii Dua Kro Kahii Woh Dil Na Ho .. ‘
ऐ-दिल ज़रा मालूम तो कर,कहीं वो तो नहीं आ रहें . महफिल में उठा हैं शोर माशाअल्लाह-माशाअल्लाह
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