कुछ दोस्त भी अजीब होते है। पढ़ते सब है लिखते कुछ नही
जिंदगी जला दी हमने जब जैसी जलानी थी, अब धुऐ पर तमाशा कैसा और राख पर बहस कैसी.
~Hum Ishq K Us Muqaam Par Khare Hain, Jahan Ankhe Kisi Aur Ko Dekhe To Gunah Lagta Hai .. ‘
पर्दा गिरते ही खत्म हो जाते हैं तमाशे सारे …. खूब रोते हैं फिर औरों को हँसाने वाले..
पता नहीं कैसी नजर लगी जमाने की साली अब कोई वजह नहीं बनती मुस्कुराने की!!!
UDHTE prindo ko koi nhi ROK skta….. JO APNE hote hai WO khud hi LAUT kr aate hai….
सुनो एक फ़िक्र, किसी का #ज़िक्र साथ ले जाऊँगा थोड़ा #हँसा, तो कुछ पल रुला के चला #जाऊँगा
तेरी जरूरत, तेरा इंतजार और ये तन्हा आलम, थक कर मुस्कुरा देती हूँ, मैं जब रो नहीं पाती !!
Aa kuch likhdu tere bare meIN, Tu bhi dhundhti hogi khud ko mere Lafzon meIN
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