Ek tera noor hi kaafi h.. Sare jhaa ki roshni k liye
जब नफ़रत करते करते थक जाओ..। तो एक मौका प्यार को भी दे देना।।.
रात तो क्या पूरी जिन्दगी भी जाग कर गुजार दूँगा तेरे खातिर ।।।
त्यौहारों के बहाने ही सही, रिश्ते तो घर लौट आते है…
मेरे कंधे पर कुछ यूँ गिरे तेरे आंसू, कि सस्ती सी कमीज़ अनमोल हो गयी.!!
अंत में लिखी है दोनों की बर्बादी, आशिक़ हो या हो आतंकवादी.
मेरे साथ बैठ कर वक़्त भी रोया एक दिन बोला बन्दा तू ठीक है मैं ही ख़राब चल रहा हूँ
हसरतें आज भी खत लिखती हैं मुझे, पर मैं अब पुराने पते पर नहीं रहती ।।
मेहनत इतनी खामोशी से करो कि . “सफलता शोर मचा दे”
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