अंत में लिखी है दोनों की बर्बादी, आशिक़ हो या हो आतंकवादी.
सब मशरूफ थे नया साल मनाने में मैंने मेरी रूठी खुशियों को मना लिया..
~Woh Roz Jorhtah Haii Mujhe, Phiir Se Torhney Ke Liiye .. ‘
तेरी तलाश में निकलु भी तो क्या फायदा, तु बदल गया हैं ,खोया नही हैं ।
~Jaley Ka Ilaaz Burnol Se .. Jealousy Ka Ilaaz Chitrol Se .. ^
तन्हाई की सरहदें और भीगी पलके….!! हम लुट जाते हैं, रोज तुम्हें याद करके….!
आँखों के अंदाज़ बदल जाते हैं जब कभी हम उनके सामने जाते हैं
मैं परेशान था उसकी ख़ातिर, औऱ वो दिल पे हाथ थाम के बैठी थी !!
~Bhool Kar Bhii Na Dena Kandha Mere Janazey Ko, Kahiin Phiir Ziinda Na Ho Jaon Tera Sahara Samajh Kar .. Continue Reading..
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