जिस्म छू के तो.. सब गुज़रते हैं.. रूह छूता है कोई.. हज़ारों में..
कलम में जोर जितना है जुदाई की बदौलत है… मिलने के बाद लिखने वाले लिखना छोड़ देते है…
~ Aa Dekh Mujh Se Roothne Wale K Tere Bagair Din Bhi Guzar Gaya Meri Shab Bhi Guzar Gayi .. Continue Reading..
शब्द “दिल” से निकलते हैं… “दिमाग”से तो उसके मतलब निकलते हैं…
अपनाने के लिए हजार खूबियाॅ भी कम है और छोडने के लिए एक कमी ही काफी है।
मुझे मालूम था के लौट के अकेले ही आना है, फिर भी तेरे साथ चार कदम चलना अच्छा लगा..
कमज़ोर पड़ गया है मुझसे तुम्हारा ताल्लुक … या कहीं और सिलसिले मजबूत हो गए हैं..
~Tujhe Khabar Hai Tujhey Sochney Ki Khatir, Bohat Se Kaam Meiin Kal Par Chorr Detii Hoon .. ‘
दिल करता है कहीं इस तरह गुम हो जाऊँ ……. रहू सबके सामने पर किसी को नजर ना आऊँ .
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