मैंने अपनी हर एक सांस तुम्हारी गुलाम कर रखी है,
लोगो में ये ज़िन्दगी बदनाम कर रखी है,
अब ये आइना भी किस काम का मेरे,
मैंने तो अपनी परछाई भी तुम्हारे नाम कर रखी है.
Related Posts
गिन लेती है दिन बगैर मेरे गुजारें हैं कितने भला कैसे कह दूं कि “माँ” अनपढ़ है मेरी।।
तुम्हारा साथ तसल्ली से चाहिए मुझे.. जन्मों की थकान लम्हों में कहाँ उतरती है !!
jitna viswas tha us Pe Aaj apni glatfhami k Karen khud se nafrt ho gyi PR us se Aaj bhi Continue Reading..
कहाँ पूरी होती है दिल की ख्वाहिशें सर्दी भी हो.. चाय भी हो.. और वो भी.
बड़ी मुद्दत से चाहा है तुझे! बड़ी दुआओं से पाया है तुझे! तुझे भुलाने की सोचूं भी तो कैसे! किस्मत Continue Reading..
~Hum Ishq K Us Muqaam Par Khare Hain, Jahan Ankhe Kisi Aur Ko Dekhe To Gunah Lagta Hai .. ‘
तू रूठा रूठा सा लगता है, कोई तरकीब बता मनाने की, मैं ज़िन्दगी गिरवी रख दूंगा, तू क़ीमत बता मुस्कुराने Continue Reading..