तू याद रख, या ना रख… तू याद है, ये याद रख…
कौन कहता है कि मुसाफिर ज़ख़्मी नहीं होते, रास्ते गवाह है बस गवाही नहीं देते.
Itna na sataya kar ke raat bhar na so sake hum, Subah ko surkh ankhon ka sabab pochte hain log
तलब करे तो मैं अपनी आँखें भी उन्हें देदू, मगर ये लोग मेरी आँखों के ख्वाब मांगते हैं.
मुझको खो दोगे तो पछताओगे बहुत …! ये आखरी गलती तुम बहुत सोच-समझ कर करना …!!
-Pata Nahi Ab Haq Hai Ya Nahii, Par Aaj Bhi Teri Parwaah Karna Achha Lagta Haii .. ‘
~Aye Pagal Dil Tu Kyun Khush Hota Hai ?? Teen Din Baad Sirf Saal Badlega Insaan Nahi .. ‘
“तू अगर मुझे नवाजे तो तेरा करम है मेरे मालिक, वरना तेरी रहमतो के काबिल मेरी बंदगी नही.”
इतनी बेरुखी ना करो कुछ तो रहम करो, तुम पर मरते हैँ तो क्या मार ही डालोगे…
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