तुम तो मुझे रुलाकर दूर चले गये.. मै किससे पूछूँ मेरी खता क्या है..
सिलसिला ये चाहत का दोनो तरफ से था, वो मेरी जान चाहती थी और मैं जान से ज्यादा उसे
थोड़ी सी उम्र में हमने, घूम जनाज़ा देखा। ऊपर से तो मीठी बोली, नस नस में बेईमाना देखा।
दोनों साथ गये हैं वक्त बिताने डिनर पर.. बातें मगर उनसे.. मोबाइल कर रहा है!
जीभ मे हड्डीया नही होती फिर भी जीभ हड्डीया तुडवाने की ताकत रखती है
मुझे आज भी उसकी शिद्दत रोने नही देती, कहती थी मर जायेंगें तेरे आँसुओं के गिरने से पहले
एक तो सुकुन और एक तुम, कहाँ रहते हो आजकल मिलते ही नही.
कितनी मासूम सी है ख्वाहिस आज मेरी कि नाम अपना तेरी आवाज़ से सुनूँ !!!
दोस्त को दौलत की निगाह से मत देखो , वफा करने वाले दोस्त अक्सर गरीब हुआ करते हैं….!!
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