Muhabbat kesi bhi h0 Sahib…! Sajda kerna sikha deti hai…!
कुछ नहीं है आज मेरे शब्दों के गुलदस्ते में, कभी कभी मेरी खामोशियाँ भी पढ लिया करो…!
यूँ तो मुझे झूठ से सख्त नफरत थी, लेकिन अच्छा लगता था जब वो मुझे “जान” कहा करती थी..
आज तो दिल भी धमकियाँ दे रहा है।। कर याद उसे वरना धड़कना छोड़ दूंगा
जिंदगी सफ़र पर निकल चुकी है… मंजिल कब मिलेगी तू ही बता ये मेरे खुदा..!
मुझे आज भी उसकी शिद्दत रोने नही देती, कहती थी मर जायेंगें तेरे आँसुओं के गिरने से पहले
जिनके मिलते ही… ज़िन्दगी में ख़ुशी मिल जाती है … वो लोग जाने क्यों… ज़िन्दगी में कम मिला करते है…!!
इतनी उदास न हो, ऐ जिन्दगी खोते वही हैं, जो कुछ पाने की तमन्ना रखते हैं.
आज मैंने दिल को थोड़ा साफ़ किया, कुछ को भूला दिया, कुछ को माफ़ किया!!
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