पड़ोस मैं एक भाभी दिल्ली की स। आज तड़के 7 बजे म्हारै घर आयी, मैने दरवाजा खोला तो वो बोली:- कोई बात नही जी मैं फिर आ जाऊँगी।
मनै दरवाजा बंद कर दिया।
7:30 बजे दोबारा आई, दरवाजा खोलते ही बोली:-कोई बात नही जी मैं थोड़ी देर में आ जाऊँगी।
मेरे बात समझ नहीं आई, मनै दरवाजा बंद कर दिया।
8 बजे फिर आई,दरवाजा खोला तो बोली कोई बात नही जी, मैं कल ही आ जाऊँगी।
मैं बोल्या :- रूक भाभी, के चक्कर है???
तीन बार आली, फेर न्यू कहदे है बाद म्हं आऊँगी!
भाभी बोली:- जी मैं जब भी आती हूँ आपके हाथ में चम्मच मिलती है, मैं सोची आप खाना खा रहे हो तो बाद में आ जाऊँ।
मैं बोल्या रै बावलीबूच या चम्मच तो हाम साँकल म्हं लाया कराँ….!!
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आज काल की बहू।
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एक बहु आपणे पीहर चली गयी
अर अपणे पांच साल के छोरे नै वो सास्सू
धोरै छोड़ गी!
बहु नै गई नै 15 दिन हुए थे के उसकी सास्सू की चिट्ठी आ-गी !
सास्सू नै लिख राख्या था, “बहु
तावली आ-ज्या, छोरे
का जी कोन्या लाग रह्या” ।
बहु नै उल्टी चिट्ठी लिक्खी, “माँ, तन्नै
नू कोन्या लिख्या अक मेरे छोरे
का जी कोन्या लाग रहया अक तेरे
का ?”
ल्यो भाई भजन सुण ल्यो आज।
राम राम तडके आली।
बीयर पीवैँ गरमिया म्ह
यार मेरे उल्लू के पट्ठे
पूरी पेटी ठा ल्यावैँ
100 100रपिये कर कैँ कट्ठे..
पीयाँ पाच्छै भुँडे बोलैँ
शर्म तार कैँ धर दे सैँ
फोन मिला कैढब्बण धोरै
LOUDSPEAKER On कर दे सैँ
बात करा दे बात करा दे
इसे बात प रोला हो ज्या
बोतल फोङैँ दही खँढादेँ
नया पजामा धोला हो ज्या
कितै कूण म्ह प्याज पङे
और कितै कूण म्ह दाल सै
DAILY रात नै कह कै सोवैँ
भाई आज पाच्छै टाल सै”
जिस ढाल मोदी जी विपक्ष की हर बात का मजाक बणां दे हैं
दिक्खै नेता बनण तै पहल्यां ऐडमिन थे किसी पेज के …
एक बहु गोबर गेरण जावे थी —
एक जणा गाल म्ह दारू पी रया था अर
बहु त बोल्या :- माणस सेटिंग कर ले न
,बहु नाट गी , अर जाके न घरां बता दी !
पंचायत होई —
गाम का चौकीदार उनके गया अर जाके बोल्या :-
चाल र तन्ने पंचायत म्ह बुलावें है —
तन्ने फलाणे की बहु छेड़ दी चाल फैसला होवेगा पंचायत म्ह !
न्यू बोल्या :- ना भाई साहब हो लिया था फैसला तो , वा तो उड़े ऐ नाटगी थी
एक बणिये का आखरी बखत आ-ग्या ।
उसनै आवाज लगाई – बेटी लक्ष्मी !
वा बोल्ली – “हां बाबू !”
फिर उसनै आपणे छोरे को आवाज लगाई – बेटा कुबेर!
छोरा बोल्या – “हां बाबू!”
बणिया ने फिर आपणी घर-आळी खातिर रूका मारा- भागवान !
उसकी घर-आळी बोल्ली -“हां जी !”
बणियां बोल्या – अड़ मखा लुटवाओगे – तुम सारे हाड़ै बैठे सो,
बॉलीवुड की फिल्मे ज हरयाणा म बणती तो शायद ये नाम होते-
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शोले – गबर फसग्या रान्डया क।
आँखे – दीद्दे।
आग का गोला – धकड़बोझ।
दबंग – एंड़ी थाणेदार।
गजनी – खपरभरणा।
गुंडे – सत्यानासी।
3 इडियट – तीन बोल्लीतरेड़।
क्वीन – गुलाबो का ब्याह हो ग्या गाह्।
गोलमाल – गदर कुणबा।
चेन्नई एक्सप्रेस – रूँढ़ा मद्रासी।
नमस्ते लन्दन – राण्डे चल्ये इंग्लैंड।
गदर – रोल्ला जाटा का।
महोबत्ते – लफुसड़े प्यार के।
नई पड़ोसन – नीचे राण्डया की दुकान ऊपर जुली का मकान।
कोइसी रहगी हो त बता दीयो।
मृत्यु क्या है … ???
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जब चार आदमी कुछ और माणसां गैल्या़ रल कै कंध्यां पै ठा कै राम नाम सत्य है बोल्दे होए लकड़ियां गेर कै एक आदमी नैं फूंक दें …
उसे कहते हैं मृत्यू … आई समझ
ब्याह आले घर मैं घणखरे रिस्तेदार रात नै छत पै सोवैं थे … एक दारु पीया छौरा अपने दोस्त गैल्यां एक खाट पै सोवै था … उसके तलब उठ्ठी वा बीडी़ लेण निच्चै गया … पाच्छे तै उसका दोस्त उठया अर मूतन चल्या गया …।
इतनै छौरे की बुआ आई अर खाट खाली देख कै उसपै सौगी … छौरा मांग तांग कै बीड़ी पी कै आया अर अन्धेरे मैं दोस्त समझ कै उसपै जम्प मार दी … बुआ नै उठ कै छौरे का झलूस काढ दिआ …।।
अगली रात फेर वा छौरा न्यूए बीडी़ पी कै आया अर रुक्का दे कै बोल्या …. अपणी अपणी खाट पै हो ल्यो भई सारे … नातै फेर बूआ बरगा मूँ बणाओगे
काल तूफान ढंग तै ना आया ,
मखा भागवान चाल तन्नैं इस्से खुशी मैं बाहर बढ़िया डिनर करवा कै ल्याऊं … डेड़ घंटा लाकै तयार होई बचारी अर आठ बजरे थे …
बोली चलो जी मैं तयार हूं हंजी … 😗
मैं बोल्या यार कुछ मूढ़ ना हो रया बाहर जाण का घर मैं बणा ले नैं किम्मै …
तूफान आना चइए मतबल आना चइए … आ ग्या
बैड तलै बड़ रया हूं तूफान तै बचण तंइ
दिल्ली की छोरी हरियाणवी फोटोग्राफर का मजाक उड़ान खात्तर बोली :- अंकल पासपोर्ट साइज फोटो खींच दो पर उसमें मेरे नाइक के शूज भी आने चाहिए …
एक तो फरमाइश खतरनाक दूसरा सम्बोधन ( अंकल ) उस्तै खतरनाक पर छोरा हरयाणवी था बोल्या :- ठीक सै जूते सिर पै धर कै खड़ी होजा …
छोरी बेज्जती सी फील करगी … दूकान के बाहर छोरे का बाब्बु बेठ्या था उसनै उस्ते शकैत लाई …
पूरी रामकहानी सुण कै बाब्बु बोल्या :- किम्मे ना बेट्टी यो नंवा नंवा काम सिख्या है … तूं न्यू कर उकड़ू बैठ कै खिचवाले .
टीचर :- अच्छा इसका अंग्रेजी में अनुवाद करो … ” रामस्वरूप बिमार था परिणाम स्वरूप मर गया ”
पप्पी :- सर पहल्यां न्यु बताओ जब बिमार रामस्वरूप था तो परिणाम स्वरूप क्युकर मर गया … 😏
टीचर :- अरै बेकूफ रामस्वरूप बिमार था फलस्वरूप मर गया … 😬
पप्पी :- एल्ले ईब तीसरा मार दिया … जो बिमार है पहल्यां उसनै मारो सर जी फेर अनुवाद करुंगा … 😎
टीचर नै चाक का डब्बा बगा कै मारया बोल्या सुसरे तूं हिंदी सीख पहल्यां
छोटी बहन बड्डी तै :- या छोरी हर जन्म मैं एक इ पति क्यों मांगै सैं … 😩
बड्डी :- ए बेब्बे हर जन्म नंवे गधे नै ट्रेनिंग कौण दे … 😗
( छोरियां तो इस पोस्ट नै पढ़ कै खुसी के मारे गिद्दा लावणी भरत नाट्यम सब किमै नाच लेंगी …
किलकी पाटी थी उसकै गाम म
जब मने उसका हाथ थाम्या था
इब अपणी के बात करू
मेरी माँ न सुथरा ए इतना जाम्या था
खीर बणाण का एक नया तरिका …
एक ताजा खीरा ल्यो अर एक चक्कू ले कै उसकी पाछली आ की मात्रा खुरच द्यो …
No need to say thanks … करके देखिए अच्छा लगेगा
एक बार ताऊ फिल्म देखण गया, फिल्म का नाम था बॉबी, अर गाणा चाल रया था, “मैं मायके चली जाऊंगी”।
Dimple: मैं मायके चली जाऊंगी, तुम देखते रहियो।
ताऊ: न्यू क्यूकर चली ज्यागी, यो तेरी टांग ने तोड़ देगा।
Rishi Kapoor: मैं दूजा ब्याह रचाउंगा
ताऊ: येह्ह्ह्ह बात .. छोरे ने कट्या रोग
Dimple: मैं कुवें में गिर जाउंगी।
ताऊ: छोरे बहकाए में मत आ ज्याइये .. पाखण्ड कर रिह सै।
Rishi Kapoor: मैं रस्सी से खिंचवाऊंगा।
ताऊ: अरे क्या ने खिंचवावे सै….. आगे फेर सेधेगी।
Dimple: मैं पेड़ पर चढ़ जाउंगी।
ताऊ: टंगी रहन्दे सासु की नै।
Rishi Kapoor: मैं आरी से कटवाऊंगा
ताऊ: अरे तू भी मैंने तो किमे नकली सा ए लाग्या… खामखाँ अपनी बुआ नै सिर पै चढ़ा रया सै।
Dimple: मैं मायके नहीं जाउंगी, मैं मायके नहीं जाउंगी।
ताऊ: तावलिये होश ठिकाणे आगे