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अक्ल कहती है, ना जा कूचा-ए-क़ातिल की तरफ;
सरफ़रोशी की हवस कहती है चल क्या होगा।
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अगर भीगने का इतना शौक है बारिश में
तो देखो न मेरी आँखों में
बारिश तो हर एक के लिए होती है
लेकिन ये आँखें सिर्फ तुम्हारे लिए रोती हैं
…आशिक…
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