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लोगो के तो दिन आते है
पर
.
हमारा तो जमाना आएगा



इश्क ओर दोस्ती मेरे दो जहान है,
इश्क मेरी रुह, तो दोस्ती मेरा ईमान है,
इश्क पर तो फिदा करदु अपनी पुरी जिंदगी,
पर दोस्ती पर, मेरा इश्क भी कुर्बान है

बैठे बैठे ज़िन्दगी बरबाद ना की जिए,
ज़िन्दगी मिलती है कुछ कर दिखाने के लिए,
रोके अगर आसमान हमारे रस्ते को,
तो तैयार हो जाओ आसमान झुकाने के लिए

जिनकी नजरो में हम नहीं अच्छे ,
कुछ तो वो लोग भी बुरे होंगे ।।
अब मुझे फर्क नहीं पड़ता…
तुम्हारे फर्क पड़ने से..


मत पूछो कैसे गुजर रही है जिँन्दगी
.
उस दौर से गुजर रही है
जो दौर गुजरता ही
नही

कागज मेँ लिपटी रोटियाँ
मै खाऊँ भी तो कैसे ?
.
खून से लथपथ आते है
अखबार भी आजकल


मेहनत इतनी खामोशी से करो कि
.
“सफलता शोर मचा दे”


मिट जाते है औरों को मिटाने वाले
.
लाश कहा रोती है, रोते है जलाने वाले

साथ चलता है मेरे दुआओ का काफिला
.
किसमत से कह दो अकेला नही हुँ मै

जिँन्दगी मे इतनी शिद्दत से निभाना अपना किरदार
.
के परदा गिरने के बाद भी तालियां बजती रहे


तकदीर के लिखे पर कभी शिकवा ना करना
.
ए इन्सान
.
तु इतना अकलमन्द नही के रब के इरादे समझ सके ණ™


शिकायत मौत से नही
अपनो से थी मुझे,
.
जरा सी आँख क्या बन्द हुई
कबर खोदने लगे ණ

तु बेशक अपनी महफिल मे हमे बदनाम करती है,
.
पर तुझे अनदाजा भी नही है कि
वो लोग भी पैर छुते है मेरे,
.
जिन्हे तु भरी महफिल मे झुक के सलाम करती है ණ


क्यो डरेँ कि जिन्दगी मे कल क्या होगा,
.
हर वक्त क्यो सोचे कि कुछ बुरा होगा,
.
बढते रहो मंजिलो कि ओर हमेशा
.
कुछ ना मिला तो क्या हुआ “तजुर्बा” तो नया होगा !

अपनी कीमत उतनी रखिए,
जो अदा हो सके …
अगर अनमोल हो गए तो,
तन्हा हो जाओगे ….

ऐ-दिल ज़रा मालूम तो कर,कहीं वो तो नहीं आ रहें
.
महफिल में उठा हैं शोर माशाअल्लाह-माशाअल्लाह