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“फरेब था हम आशिकी समझ बैठे,
मौत को अपनी ज़िंदगी समझ बैठे,
वक़्त का मज़ाक था या बदनसीबी,
उनकी दोस्ती की दो बातों को,
हम प्यार समझ बैठे.”



आज ऊजालो में एक कमी सी रहेने दो
आंखो में एक कतरा नमी सी रहेने दो
क़ही रह ना जाये मोहब्बत अधुरी मेरी
इंतेजार है उसका, इंतेजार ही रहने दो.

वो जान गया हमें दर्द में भी मुस्कुराने की आदत है;
इसलिए वो रोज़ नया दुःख देता है मेरी ख़ुशी के लिए।

लोग चले थे राजनीती सिखाने हमने भी कह दिया,
पहेले निति पे चलो “राज” करना हम सिखा देंगे.


कुछ तो मजबूरियां रही होंगी यूं कोई
बेवफा नही होता,
टटोल कर देखो अपने दिल को
हर फासला बेवजह नहीं होता..!!

वो बचपन कितना सुहाना था
सर ए आम रोया करते थे.
अब एक आँसू भी गिरे तो लोग हजारों सवाल करते है


जिंदगी में हर गम को छोड़ देना, ख़ुशी को नहीं,
हर मुश्किल को खो देना, कामयाबी को नहीं,
अगर ज़िन्दगी में कुछ खोना पड़े तो हमें खो देना,
पर अपनी हसी को नहीं


ख़ुशी कहा हम तो “गम” चाहते है,
ख़ुशी उन्हे दे दो जिन्हें “हम” चाहते हे.

अब तो यह दिल भी आवारगी पर उतर आया कहता है.
ले चल उनकी गलियो में
वरना अपनी मौत का ज़िम्मेदार तू खुद होगा.

किसी ने युंही पुछ लिया हमसे
की दर्द की कीमत क्या है,

हमने हंसते हुए कहा,
पता नहीं….
कुछ अपने मुफ्त में दे जाते है


सिर्फ इसी ‘कर्ज’ को अदा करने के वास्ते
हम सारी रात नही सोते ‘
कि शायद ‘कोई’ जाग रहा हो इस दुनिया मे
“हमारे ” लिए


जिन्हे गुस्सा आता है
वह लोग सच्चे होते है
मैने झूठो को अक्सर
मुस्कुराते हुए देखा है

अपनी गलतियो से
तकदीर को बदनाम ना करो
क्योकि तकदीर तो खुद
हिम्मत की मोहताज होती है


मुशकिल कोई आन पडे
तो घबराने से क्या होगा
जीने की तरकीब निकालो
मर जाने से क्या होगा

अच्छे इंसान सिर्फ और सिर्फ अपने कर्म से पहचाने जाते है
क्योकि
अच्छी बाते तो
बुरे लोग भी कर लेते है