Dikshaa Leave a comment कर्मो’ से ही पहेचान होती है इंसानो की… महेंगे ‘कपडे’ तो, ‘पुतले’ भी पहनते है दुकानों में !! Copy
Dikshaa Leave a comment काश………… पलट के पहुंच जाऊ फिर से वो बचपन की वादियों में…. ना कोई जरुरत थी ना कोई जरुरी था….. Copy