Sub Categories

कर्मो’ से ही पहेचान होती है इंसानो की…

महेंगे ‘कपडे’ तो,

‘पुतले’ भी पहनते है दुकानों में !!



काश…………

पलट के पहुंच जाऊ फिर से वो बचपन की वादियों में….
ना कोई जरुरत थी
ना कोई जरुरी था…..