ਹੇ ਨਾਨਕ! ਸਤਿਗੁਰੂ ਭੀ ਤਦੋਂ ਹੀ ਮਿਲਦਾ ਹੈ
ਜਦੋਂ ਮਨੁੱਖ ਹਿਰਦੇ ਵਿਚੋਂ (ਸ਼ਬਦ ਰਾਂਹੀ) ਅਹੰਕਾਰ ਦੂਰ ਕਰਦਾ ਹੈ ॥੨॥

Nanak Satgur Tadh Hi Paye Jaan Vichu Aap Gavaye
नानक सतिगुरु तद ही पाए जां विचहु आपु गवाए ॥२॥

हे नानक ! सतगुरु तभी मिलता है, जब इंसान अपने अंदर से अहंकार दूर करता है (याद रखें कि अहंकार अपने आप दूर नहीं होता, यह गुरु जी के शब्द की विचार से ही दूर होता है)


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