वो जवानी ही क्या जिसे लोग पलट कर न देँखेँ
साथ चलता है मेरे दुआओ का काफिला . किसमत से कह दो अकेला नही हुँ मै
दर्द आवाज छीन लेता है ओर खामोशी की कोई वजह नही होती
मैंने वहा भी तुझे मांगा हैं जहाँ लोग खुशी मांगते हैं….
~Izhar’E-Ishq Me Aiisa Hua Kuch Wo, Dil Ka Haqdaar To Hua Lekin Mera Naa Hua .. ‘
काग़ज़ पे तो अदालत चलती है.. हमने तो तेरी आँखो के फैसले मंजूर किये।
कोई नहीं बचाकर रखना चाहता है यादें जान से प्यारे खत बेरुखी से जलने लगे हैं !!
मोहब्बत दो लोगो की…. बातें सौ लोगो की…
Ek tera noor hi kaafi h.. Sare jhaa ki roshni k liye
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