एक सफ़र ऐसा भी होता है दोस्तों, जिसमें पैर नहीं दिल थक जाता है…
ऐ-दिल ज़रा मालूम तो कर,कहीं वो तो नहीं आ रहें . महफिल में उठा हैं शोर माशाअल्लाह-माशाअल्लाह
~Jiski Sazza Sirf Tum Ho Aiisa Koii Gunaah Karna Hai Mujhe .. ‘
~ Suno Sahib Khatam Sirf Rishety Kiye Jate Haii Mohabbat Nahii .. ‘
तन्हाई की सरहदें और भीगी पलके….!! हम लुट जाते हैं, रोज तुम्हें याद करके….!
कोई नहीं बचाकर रखना चाहता है यादें जान से प्यारे खत बेरुखी से जलने लगे हैं !!
~Chalo Accha Hua Ke Dhund Parney Lagi, Warna Dur Tak Takti Thi Niighein Raah Terii .. ‘
रात तो क्या पूरी जिन्दगी भी जाग कर गुजार दूँगा तेरे खातिर ।।।
छोड़ भी दूँ तो कैसे, मै फ़्लर्ट करना… किसी की जान बसती है, फ़्लर्ट में मेरी.
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