खुद ही दे जाओगे तो बेहतर है ,, वरना हम दिल चुरा भी लेते हैं..!
मुमकिन नहीं शायद किसी को समझ पाना … बिना समझे किसी से क्या दिल लगाना
ऐ-दिल ज़रा मालूम तो कर,कहीं वो तो नहीं आ रहें . महफिल में उठा हैं शोर माशाअल्लाह-माशाअल्लाह
कट रही है ज़िंदगी रोते हुए, और वो भी तुम्हारे होते हुए…
छोटा सा सपना है मेरा, जो रोटी में खाऊ वो तू बनाये..
हसरतें आज भी खत लिखती हैं मुझे, पर मैं अब पुराने पते पर नहीं रहती ।।
मै और मेरा रब्ब रोज भूल जाते है वह मेरे गुनाहो को मै उसकी रहमतो को
चलो मंजूर है तेरी बेरुखी मुझको बस इतना करो कि बेवफा मत होना
एक तो सुकुन और एक तुम, कहाँ रहते हो आजकल मिलते ही नही.
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