मोहबत को जो निभाते हैं उनको मेरा सलाम है,
और जो बीच रास्ते में छोड़ जाते हैं उनको,
हुमारा ये पेघाम हैं,
“वादा-ए-वफ़ा करो तो फिर खुद को फ़ना करो,
वरना खुदा के लिए किसी की ज़िंदगी ना तबाह करो”
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इजहार.. इंतज़ार.. इबादत.. याद.. दर्द.. इनकी गोद से क्या निकले यतीम हो गये….!!!
Bhula dia hota use kab ka ae dost.. kaash ki usne kaha na hota ki mujhe kabhi bhul mat jana.
एक टाइम पे जो लोग ऑनलाइन ही सिर्फ हमारे लिए आते थे उन्हें आज हमसे बात करना पसंद नही है
आजकल लाखों मिन्नतें करने के बाद भी इच्छा पूरी नहीं होती और बचपन में पलक का टूटा बाल फूंक से Continue Reading..
~Yeh Zaroori Nahii Har Baat Woh Merii Samjhy, Magar Zaroori Haii K Woh Mujhe Kuch To Samjhy .. ‘