Teri berukhi ko bhi rutba diya humne.
Pyar ka har farz ada kiya humne.
Mat soch ke hum bhool gaye hain tujhe;
aaj bhi khuda se pehle tujhe yaad kiya humne
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हमे कहां मालूम था कि इश्क होता क्या है…? बस…. एक ‘तुम’ मिले और जिन्दगी…. मोहब्बत बन गई…
बस तुम्हेँ पाने की तमन्ना नहीँ रही.. मोहब्बत तो आज भी तुमसे बेशुमार करतेँ हैँ.!
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इश्क मुहब्बत क्या है..? मुझे नही मालूम…? . बस ….. . तुम्हारी याद आती है..? सीधी सी बात है
teri dosti main ek nasha hai, tabhi to duniya humshe khafa hai, na karo humse itna dosti, ki dil puchhe Continue Reading..
जब जब मैने कागज पर लिखा माँ का नाम ,कलम अदम से कह उठी हो गये तेरे चारोधाम
हकीक़त थी…. ख्वाब था…. या तुम थे…. जो भी था…. हम तो उसी में गुम थे…