Sahil Saxena Leave a comment “फरेब था हम आशिकी समझ बैठे, मौत को अपनी ज़िंदगी समझ बैठे, वक़्त का मज़ाक था या बदनसीबी, उनकी दोस्ती की दो बातों को, हम प्यार समझ बैठे.” Copy