जरा तो शर्म करती तू पगली. मुहब्ब्त चुप चुप के और नफरत सरे आम.
तुम्हारे हर सवाल का जवाब मेरी आँखों में था और तुम मेरी जुबान खुलने का इंतज़ार करते रहे।
लोग कहते हैं समझो तो खामोशियां भी बोलती हैं .. मैं तो एक अरसे से खामोश हूँ और वो बरसो Continue Reading..
Yani tarteeb e sitam ka b salika tha usy… Us ne pathar b uthaya mujhe pagal kar k…
तेरी मुहब्बत की तलब थी तो हाथ फैला दिए वरना, हम तो अपनी ज़िन्दगी के लिए भी दुआ नहीं करते…
कैसे सोऊ सुकून की नींद में साहब… सुकून से सुलाने वालों के तो शव आ रहें हैं..
माना की मरने वालों को भुला देतें है सभी. . . मुझे जिंदा भूलकर उसने कहावत ही बदल दी
~Woh Jo Kehta Tha Tum Na Mili Toh Mar Jaunga Meiin, Woh Aaj Bhii Ziinda Haii, Yeh Baat Kisii Aur Continue Reading..
फ़रियाद कर रही है ये तरसी हुई निगाह, देखे हुए किसी को कई दिन गुज़र गए..
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