जरा तो शर्म करती तू पगली. मुहब्ब्त चुप चुप के और नफरत सरे आम.
यूँ तो मुझे झूठ से सख्त नफरत थी, लेकिन अच्छा लगता था जब वो मुझे “जान” कहा करती थी..
सुना है, शहर में ज़ख़्मी दिलो का मेला है, . चलो हम भी कुछ गम अपने पेश करते है.
वक्त सिखा देता है इंसान को फलसफा जिंदगी का..!! फिर तो नसीब क्या .. लकीर क्या … और तकदीर क्या Continue Reading..
किसी के पास Ego है तो किसी के पास Attitude… हमारे पास तो एक दिल है, वो भी बड़ा Cute…
तकदीर मेँ ढूंढ रहा था तस्वीर अपनी, न ही मिली तस्वीर, ओकात मिल गई अपनी
हम ने भी कह दिया उनसे की बहुत हो गयी जंग बस.. बस ए मोहब्बत तुझे फ़तेह मुबारक मेरी शिक्स्त Continue Reading..
कोई वकालत नही जलती जमीन वालो की, जब कोई फैसला आसमान से उतरता है
“”कुछ तो रहम कर ए-संग दिल सनम, इतना तङपना तो लकीरों मे भी न था..
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