गुज़रे है आज इश्क के उस मुकाम से, नफरत सी हो गयी है मोहब्बत के नाम से ।
सांपो के मुक्कदर में.. वो जहर कहाँ, जो आजकल इन्सान सिर्फ बातों मे ही उगलतें है।
कुछ दस्तकें, नींद तोड़ने आती हैं और कुछ… सिर्फ दिल।
साथ चलता है मेरे दुआओ का काफिला . किसमत से कह दो अकेला नही हुँ मै
सुनो ना….हम पर मोहब्बत नही आती तुम्हें, रहम तो आता होगा?
“मुझसे जब_भी मिलो तो नजरे उठा_के मिला_करो, मुझे_पसंद है अपने_आप को आपकी_आँखो मे देखना”
जन्नत का हर लम्हा दीदार किया था, माँ तूने गोद मे उठा कर जब प्यार किया था.
गुनाह यार ए मोहब्बत हुआ है मुझसे…!!! . . गुजारिश है कोई मेरे दिल को फांसी दे दो…!!!
याद आती है अब भी उनकी हमें हद से ज्यादा.. मगर वो याद ही नही करते तो हम क्या करें
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