शक तो था मोहब्बत में नुक्सान होगा, पर सारा हमारा होगा ये मालूम न था।
बंध जाता है जब किसी से जब रूह का बंधन, तो इज़हार-ऐ-मोहब्बत को “अल्फ़ाज़ों” की ज़रूरत नहीं होती.
~Khushiya Toh Taqdeer Meiin Honi Chahiye, Tasver Meiin Toh Har Koi Muskurata Haii .. ‘
तेरे बाद किसी को प्यार से ना देखा हमने….. हमें इश्क का शौक है, आवारगी का नही…
मेरे जख्मी दिल को छुआ ना करो… मरजाने दो मुझको जीने की दुआ ना करो…
चंद पन्ने क्या फटे ज़िन्दगी की किताब के. ज़माने ने समझा हमारा दौर ही ख़त्म हो गया.
तुम्हे क्या पता की किस दर्द में हूँ मैं, जो कभी लिया ही नहीं उस कर्ज में हूँ मैं
तेरी यादो को पसन्द आ गई है मेरी आँखों की नमी, हँसना भी चाहूँ तो रूला देती है तेरी कमी
“क्या लिखूँ अपनी जिंदगी के बारे में दोस्तो, वो लोग ही बिछड़ गए जो जिंदगी हुआ करते थे !!”
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