बस एक चेहरे ने तन्हा कर दिया हमे वरना हम खुद महफिल हुआ करते थे
जो जिन्दगी आप अभी जी रहे है बहुत से लोगो के लिए अभी भी सपना है
आदत बना ली है….मैंने खुद को तकलीफ देने की, ताकि जब कोई अपना तकलीफ दे तो फिर तकलीफ न हो.
“मर्दाना कमजोरी” के इलाज पर रंगी हुई है शहरों की दीवारें… और लोग कहते हैं कि “औरतें कमज़ोर” हैं…
Barish gire na gire sagar chalkta he tum milo na milo zindgi chalti rehti he
तू याद रख, या ना रख… तू याद है, ये याद रख…
डब्बे मे डब्बा डब्बे मे ब्रश उसकी ठरकी ज़िंदगी है , हर हफ्ते नया क्रश
तरस जाओगे मेरे लबोँ से सुनने को एक लफ्ज, प्यार की बात तो दूर, हम शिकायत भी नही करेगे
मोहब्बत यूँ ही किसी से हुआ नहीं करती…. अपना वजूद भूलाना पडता हैकिसी को अपना बनाने के लिए…।
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