हाथ की लकीरें भी कितनी अजीब हैं, हाथ के अन्दर हैं पर काबू से बाहर…
चलो मान लेता हुँ कि मुझे महोब्बत करनी नही आती . पर यह तो बता तुझे दिल तोडना किसने सिखाया
गुज़रे है आज इश्क के उस मुकाम से, नफरत सी हो गयी है मोहब्बत के नाम से ।
फिर से बुनने लगे ख्वाब एक नया, जाने कबतक ये सिलसिला चले इंतजार का
तू मोहब्बत है मेरी इसीलिए दूर है मुझसे… अगर जिद होती तो शाम तक बाहों में होती
Kuch nae mila bus ek sabaq de gaya..!! Khak ho jata hai insan khak se bane insan k liye
सच्चा प्रेम भूत की तरह है , चर्चा उसकी सब करते हैं, देखा किसी ने नहीं !!!
समझ नहीं पाता उसकी आँखों की अदा, कभी लगता चाहत है, कभी लगता नफरत है..!!
Humne har dukh ko Mohabbat ki Inayat samjha.. Ham koi tum the, Kya jo Shikayat karte.
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