-Ek Muddat Se Waqt Khamosh Tha Aaj, Lamhe Fir Yoon Hi Kuch Kehne Lage .. ‘
अधिक सीधा-साधा होना भी अच्छा नहीं होता है, सीधे वृक्ष सबसे पहले काट लिये जाते हैं।
ख़्वाहिशों की चादर तो कब की तार तार हो चुकी… देखते हैं वक़्त की रफ़ूगिरी, क्या कमाल करती है|
हमारे देश में लोग ट्रैफ़िक सिगनल को नहीं समझते हैं मगर आँखों के इशारे समझने में पी.एच.डी कर रखी है
समय,सेहत और साथी मिलते तो मुफ्त मेँ है पर इनकी कीमत तभी पता चलती है जब ये कही खो जाते Continue Reading..
हर बार हम पर इल्जाम लगा देते हो मोहब्बत का….!! कभी खुद से भी पूछा है इतनी खुबसूरत क्यों हो….!!
माँ ने रख दी आखिरी रोटी भी मेरी थाली में मै पागल फिर भी खुदा की तलाश करता हूँ !
लाख दिये जलाले अपनी गली मे.. मगर रोशनी तो हमारे आने से ही होगी.
सिलसिला ये चाहत का दोनो तरफ से था, वो मेरी जान चाहती थी और मैं जान से ज्यादा उसे
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