एक बणिये का आखरी बखत आ-ग्या ।
उसनै आवाज लगाई – बेटी लक्ष्मी !
वा बोल्ली – “हां बाबू !”
फिर उसनै आपणे छोरे को आवाज लगाई – बेटा कुबेर!
छोरा बोल्या – “हां बाबू!”
बणिया ने फिर आपणी घर-आळी खातिर रूका मारा- भागवान !
उसकी घर-आळी बोल्ली -“हां जी !”
बणियां बोल्या – अड़ मखा लुटवाओगे – तुम सारे हाड़ै बैठे सो,