~ Meri Zindagii Ke Taliban Ho Tum Be’Maqsad Tabahi Macha Rakhii Haii ..’
ऐ खुदा हिचकियों में कुछ तो फर्क डालना होता अब कैसे पता करूँ कि कौनसी वाली याद कर रही है
अच्छा लगता हैं तेरा नाम मेरे नाम के साथ, जैसे कोई खूबसूरत सुबह जुड़ी हो, किसी हसीन शाम के साथ Continue Reading..
लोग तो वही रहते है बस वक्त के साथ उनका बर्ताव बदल जाता है
‘मयखाने’ लाख बंद कर ले ‘जमाने’ वाले. ‘शहर’ में कम नही ‘नजरो’ से पिलाने वाले.
बन्दा खुद की नज़र में सही होना चाहिए… दुनिया तो साली भगवान से भी दुखी है |
BhT BADNASEB HOTA HA WO JO APNE SUCHÍ MUHABAT KE KADAR NÌ KARTA
खुद के खोने का पता ही नहीं चला… , किसी को पाने की ‘इन्तहा’ कर दी मैंने….?
हद से बढ़ जाये ताल्लुक तो ग़म मिलते हैं, हम इसी वास्ते, अब हर शख्स से कम मिलते हैं
Hiii
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