koi apna nhi hota ye bhi apno ne hi sikhaya h
अब इतना भी सादगी का ज़माना नहीं रहा …!! क़े तुम वक़्त गुज़ारो और, हम प्यार समझें,
याद रहेगा ये दौर-ए-हयात हमको, क्या खूब तरसे हैं जिन्दगी में एक शख्स के लिए ।।
गुज़र रहा हूँ तेरे शहर से क्या कहूँ क्या गुज़र रही है.
जिसको मुझ पर भरोसा नहीं है, उसकी मेरी जिंदगी में कोई जरुरत नहीं है !!
तुम दूर हो या पास फर्क किसे पड़ता है, तू जँहा भी रहे तेरा दिल तो यँही रहता है..
जैसे जैसे उम्र गुजरती है एहसास होने लगता है कि माँ बाप हर चीज़ के बारे में सही कहते थे
किस्मत तो लिखी थी मेरी सोने की कलम से, पर इसका क्या करें कि स्याही में ज़हर था..
ख्वाहिश नहीं मुझे मशहूर होने की। आप मुझे पहचानते हो बस इतना ही काफी
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