जरा तो शर्म करती तू पगली. मुहब्ब्त चुप चुप के और नफरत सरे आम.
हम तो खुशियाँ उधार देने का कारोबार करते हैं, कोई वक़्त पे लौटाता नहीं, इसलिए घाटे में हैं !!
हमने कहाँ आज कुछ मीठा बनाओ उन्होंने ऊगली अपने होठो पर रख दी !
-Koii Toh Aiisa Ho Jo Siirf Mera Ho .. ‘
वहम से भी अक्सर खत्म हो जाते हैं कुछ रिश्ते.. कसूर हर बार गल्तियों का नही होता..
सुनो एक अजीब सी चुभन होती है..!! जब मेरे सिवा कोई तुम्हारा नाम लेता है.
आज तक कायम है उसके लौट आने की उम्मीद आज तक ठहरी है जिंदगी अपनी जगह
je pyr bhi ajeeb h, jo ise jan le…. ye kmbkhat usi ki jaan le leta h….
वक़्त और प्यार दोनों ज़िन्दगी में ख़ास होते हैं .. वक़्त किसे का नहीं होता और प्यार हर किसी से Continue Reading..
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