जरा तो शर्म करती तू पगली. मुहब्ब्त चुप चुप के और नफरत सरे आम.
je pyr bhi ajeeb h, jo ise jan le…. ye kmbkhat usi ki jaan le leta h….
क्यों याद करेगा कोई बेवजह मुझे ऐ खुदा , लोग तो बेवजह तुम्हे भी याद नहीं करते !!”
मौहब्बत की मिसाल में,बस इतना ही कहूँगा । बेमिसाल सज़ा है,किसी बेगुनाह के लिए ।
मेरे लफ़्ज़ों से न कर मेरे क़िरदार का फ़ैसला।। तेरा वज़ूद मिट जायेगा मेरी हकीक़त ढूंढ़ते ढूंढ़ते।
बिना मतलब के दिलासे भी नहीं मिलते यहाँ , लोग दिल में भी दिमाग लिए फिरते हैं !!
कितना समेटे खुद को बार बार, टूट के बिखरने की भी सीमा होती है ||
मेरी दिल की दिवार पर तस्वीर हो तेरी _ और तेरे हाथों में हो तकदीर मेरी..! –
मेरी कोशिश हमेशा से ही नाकाम रही पहले तुजे पाने की अब तुजे भुलाने की.
Your email address will not be published. Required fields are marked *
Comment *
Name *
Email *