Sahil Saxena Leave a comment कैसे बयान करे अब आलम दिल की बेबसी का, वो क्या समझे दर्द इन आंखों की नमी का, चाहने वाले उनके इतने हो गए हैं कि, अब एहसास ही नहीं उन्हें हमारी कमी का। Copy