~Waffa Par Ab Bhii Qaiim Hoon Meiin,
Lekin Ab Mohabbat Chorr Di Hamne .. ‘
जिधर देखो, उधर मिल जायेंगे, अखबार नफरत के बहुत दिन से, मोहब्बत का न देखा, एक खत यारों
कभी वक्त निकाल के हमसे बातें करके देखना.. हम भी बहुत जल्दी बातों मे आ जाते है…
ये दुनियाँ के तमाम चेहरे तुम्हें गुमराह कर देंगें.. तुम बस मेरे दिल में रहो, यहाँ कोई आता जाता नहीं
चाहत तो आज भी उतनी है उनकी पर किस्मत के हाथों मजबूर हो गये देखी जो उन में अपने लिए Continue Reading..
दीदार की तलब हो तो नजरे, जमाए रखना गालिब, नकाब हो या नसीब सरकता जरूर है
गिन लेती है दिन बगैर मेरे गुजारें हैं कितने भला कैसे कह दूं कि “माँ” अनपढ़ है मेरी।।
हम जिस्म को नही रूह को वश मे करने का शोक रखते है
मोहब्बत का मेरे सफर आख़िरी है, ये कागज कलम ये गजल आख़िरी है, मैं फिर ना मिलूँगा कहीं ढूंढ लेना, Continue Reading..
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