~Suno ! December Ki Sard Hawao’n Ki Qasam Mujhe Tum Zehar Lagtey Ho ..’
बड़ी बारीक़ी से पढ़ लेते है वो ख़ामोशी मेरी, बार बार यू मुझे अपना बनाना उन्हें बख़ूबी आता है।।
नाराज़गी बहुत है हम दोनों के दरमियान … वो गलत कहता है कि कोई रिश्ता नहीं रहा
तुम साथ हो तो मुकद्दर पे हकुमत हैं अपनी। बिन तेरे ज़िन्दगी की औकात ही क्या हैं।।
मंजिलो से गुमराह कर देते हैं कुछ लोग हर किसी से रास्ता पूछना अच्छी बात नही !!
दर्द कहां मोहताज़ होता है शब्दों का बस दो आंसू ही काफ़ी है, बयां करने को…..!!
न जाने कैसी दिल्लगी थी उस बेवफा से, के मैंने आखिरी ख्वाहिश में भी उसकी वफ़ा मांगी…
उसे हमारी याद तब ही आती है जब उसके पास कोई और बात करने के लिए ना हो ।।।।
Pehla sver ton shaam tak kise di wait karo Te jisdi wait krde oho 2 mint gall karke fer offline Continue Reading..
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