शक तो था मोहब्बत में नुक्सान होगा, पर सारा हमारा होगा ये मालूम न था।
पाना है मुक्काम ओ मुक्काम अभी बाकी है अभी तो जमीन पै आये है असमान की उडान बाकी है !
Meiin Woh Shaam Nahi Jo Guzar Jaugii, Hoon Sard Si Raat Meiin Guzarugii Lekiin Thehar Thehar Kay ..
तु मिल गई है ताे मुझ पे नाराज है खुदा, कहता है की तु अब कुछ माँगता नहीं है..!!
पर्दा गिरते ही खत्म हो जाते हैं तमाशे सारे, खूब रोते हैं फिर औरों को हँसाने वाले.
नफ़रत करना तो कभी सिखा ही नहीं,,, हमने दर्द को भी चाहा है अपना समझ कर… :))
मंजिलो से गुमराह कर देते हैं कुछ लोग हर किसी से रास्ता पूछना अच्छी बात नही !!
मुझ पर इलज़ाम झूठा है…. _यारों…_ मोहब्बत की नहीं..हो गयी थी….!!
~Meiin Tumharii Woh Yaad Hoon, Jisey Tum Aksar Bhool Jatey Ho ..’
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