सुनो, उसको बता देना की जो उस पर मरती थी न वो मर गयी है
Apni halat ka khud ehsaas nahi h mujhko maine auro se suna hai ki pareshan hu mein.
Barish gire na gire sagar chalkta he tum milo na milo zindgi chalti rehti he
“”कुछ तो रहम कर ए-संग दिल सनम, इतना तङपना तो लकीरों मे भी न था..
~ बड़ा अजीब सा जहर था उसकी यादों का सारी उम्र गुजर गयी मरते – मरते .. ^
जनवरी से तुम्हें खुशियाँ मिली क्या यारो, मैं तो अब भी तन्हा हूँ दिसंबर की तरह !!
आज उसने भी कह दिया मरते हो मुझ पर तो अब तक जिंदा क्यो हो
वो मेरी होगी तो लौट आएगी एक दिन मेरे पास, हम जिसे प्यार करते है उसे कैद नहीं करते !!
मुझको खो दोगे तो पछताओगे बहुत …! ये आखरी गलती तुम बहुत सोच-समझ कर करना …!!
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