वो जवानी ही क्या जिसे लोग पलट कर न देँखेँ
पी लिया करते हैं जीने की तमन्ना में कभी, डगमगाना भी ज़रूरी है संभलने के लिए।
~Terey Baad Nazar Aati Nahi Mujhe Ab Koi Manzil, Kisi Aur Ka Ho Jana Ab Merey Bas Mein Hi Nahi Continue Reading..
~Hasrat’E-Deedar Bhii Kya Cheez Hyy, Wo Samne Aye To Musalsal Dekha Bhi Nahi Jata .. ‘
अंत में लिखी है दोनों की बर्बादी, आशिक़ हो या हो आतंकवादी.
इतना खुश रहो के साला गम बी कहे गलती से मे यहा कहा आ गया।
क्यों याद करेगा कोई बेवजह मुझे ऐ खुदा , लोग तो बेवजह तुम्हे भी याद नहीं करते !!”
जितनी हसीन ये मुलाकातें है उससे भी प्यारी तेरी बातें है
मैं बुरा हूँ तो बुरा ही सही… …. कम से कम “शराफत” का दिखावा तो नहीं करता
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