गुज़रे है आज इश्क के उस मुकाम से, नफरत सी हो गयी है मोहब्बत के नाम से ।
माँ ने रख दी आखिरी रोटी भी मेरी थाली में मै पागल फिर भी खुदा की तलाश करता हूँ !
गलती उनकी नहीं कसूरवार मेरी गरीबी थी दोस्तों, हम अपनी औकात भूलकर बड़े लोगों से दिल लगा बैठे.
अपने होंठो को मेरे होंठो से लगा दो, कोई शिकायत होगी भी तो कह नहीं पाउँगा..!!
Dard dilon ke kam ho jaate… Main aur Tum agar hum ho jaate
-Ghar Mera Kash Tere Ghar Kay Barabar Hota, Tu Na Aata Terii Aawaz To Aya Kartii .. ‘
Ajeeb tamasha hua jab wo samne aaye… Har shikayat ne jaise khudkhushi kar li..
मैं कौन हूँ यह पता चल जाये तोह मुझे भी बता देना… —” काफी दिनों से तलाश है मुझे मेरी Continue Reading..
हम वही हैं बस ज़रा सा ठिकाना बदल दिया है आजकल तेरे दिल से निकल कर अब अपनी औक़ात में Continue Reading..
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