जिंदगी सुंदर है पर मुझे.*
*जीना नहीं आता,*
*हर चीज में नशा है पर मुझे.*
*पीना नहीं आता,*
*सब मेरे बिना जी सकते हैं,*
*र्सिफ मुझे अपनों के बिना….*
*जीना नहीं



ज़िन्दगी में “खुद” को कभी किसी इंसान का “आदी” मत बनाइए।*
*क्यूँकि इंसान बहुत खुदगर्ज़ है।*
*जब आपको पसंद करता है तो आपकी “बुराई” भूल जाता है और जब आपसे नफरत करता है तो आपकी “अच्छाई” भूल जाता है।*

*ज़िन्दगी में “खुद” को कभी किसी इंसान का “आदी” मत बनाइए।*
*क्यूँकि इंसान बहुत खुदगर्ज़ है।*
*जब आपको पसंद करता है तो आपकी “बुराई” भूल जाता है और जब आपसे नफरत करता है तो आपकी “अच्छाई” भूल जाता है।*

हमारी कहानी क्यों लिखे
जिसके लिखनी थी वो तो पराये हुवे
good morning friends


एक सवाल था दिल में, जवाब चाहती हूँ!
उलझी हूँ थोड़ी, एक आस चाहती हूँ!
की क्या हो हर बार, बार-बार जो तुम मुझे निराश करते रहो,
हर आस को मेरी तारतार करते रहो!
मैं फिर तुम्हारे एक इशारे पे दौड़ी चली आऊँ,
तुम कहो तो रोयुं, तुम कहो तो मुस्काऊँ!
की क्या हो जो तुम हर बार मुझे गिनाते रहो गलतिया मेरी,
सुनाते रहो बातें जो तीर सी हो तीखी,
मैं फिर भी हर बार वो तीखा स्वाद भूल जाऊं,
तुम दो एक आवाज़, मैं दौड़ी चली आऊँ!
क्या हो, जो हर बार तुम वजह दो मुझे दूर जाने की,
कोई कोशिश न छोड़ो मुझे रुलाने की,
मैं फिर भी हर बार तुम्हारी तरफ खींची आऊँ,
रब दे ज़िन्दगी जितनी भी,
उसकी हर सांस तेरे नाम लिख जाऊँ,
और फिर एक रोज,
आखिर मान लो हार तुम भी,
भूला के पिछली बातों को तुम मेरे पास लौट आओ!
और, मैं लेलू बदला तुमसे उस वक़्त!
हमेशा के लिए तुम्हे छोड़ कहीं दूर चली जाऊँ,
जहाँ से न खबर मिले मेरे आने की,
का अक्स मिले कोई,
वो दुनिया जहाँ से कोई वापस नहीं आता!
क्या हो?!
तुम मुझे पल-पल मारने की कोशिश करो,
और हर कोशिश का बदले मैं तुम्हें जीते जी मार जाऊँ!
बस एक सवाल था मेरे दिल में,
इसका जवाब चाहती थी!
क्या हो?!
जो एक रोज, बिन बताये ऐसा कर जाऊं!!
क्या हो?!

जरा सोचिए – विज्ञान हमे कहाँ ले आया ?
#पहले :-वो कुँए का मैला कुचला पानी पीकर भी 100 वर्ष जी लेते थे
#अब :- RO का शुद्ध पानी पीकर 40 वर्ष में बुढे हो रहे है
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#पहले :- वो घाणी का मैला सा तैल खाके बुढ़ापे में भी मेहनत कर लेते थे।
#अब :-हम डबल-ट्रिपल फ़िल्टर तैल खा कर जवानी में भी हाँफ जाते है
◆◆◆◆ ●●●● …….
#पहले :-वो डले वाला नमक खाके बीमार ना पड़ते थे।
#अब :- हम आयोडीन युक्त खाके हाई-लो बीपी लिये पड़े है
◆◆◆◆ ●●●● …….
#पहले :-वो नीम-बबूल कोयला नमक से दाँत चमकाते थे और 80 वर्ष तक भी चब्बा-चब्बा कर खाते थे
#अब :-कॉलगेट सुरक्षा वाले रोज डेंटिस्ट के चक्कर लगाते है
◆◆◆◆ ●●●● …….
#पहले :- वो नाड़ी पकड़ कर रोग बता देते थे
#अब :-आज जाँचे कराने पर भी रोग नहीं जान पाते है
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#पहले :- वो 7-8 बच्चे जन्मने वाली माँ 80 वर्ष की अवस्था में भी खेत का काम करती थी।
#अब :- पहले महीने से डॉक्टर की देख-रेख में रहते है फिर भी बच्चे पेट फाड़ कर जन्मते है
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#पहले :-काले गुड़ की मिठाइयां ठोक ठोक के खा जाते थे
अब :- खाने से पहले ही सुगर की बीमारी हो जाती है
◆◆◆◆ ●●●● …….
#पहले :-बुजर्गो के भी घुटने नहीं दुखते थे
#अब :-जवान भी घुटनो और कन्धों के दर्द से कहराता है


ट्रेन गुजर रही थी स्टेशन पर..
तुम्हारी यादआई.
मालूम नहीं क्यूँ.
तुम्हें वो गाना याद है..
जो मैं अक्सर तुम्हें देख कर गुनगुनाया करता था.
तुझे ना देखूं तो चैन, मुझे आता नही है..
एक ऐसा भी दौर गुजरा है.
वाकई कैसे भूलना मुमकिन है.
याद है, तुम्हारे शहर में जब बारिश होती थी,
तो तुम मुझे बताती थी.
तुम्हारा शहर भीगा होगा वैसे फिर कभी या शायद नहीं.
मेरे बाद तुम्हारा शहर भी खाली हो गया होगा ना,
पता नहीं.
Fb से दूर हो, अच्छा कर रहे हो.
सच के लोग होते हैं असल ज़िंदगी में,
यहाँ तो सब काल्पनिक है.
अब भी तुम रहते हो मेरी बातों,
मेरे ख़यालों, मेरी कविताओं में कहीं.
पर ना जाने क्यूँ अब तुम मिलते ही नहीं.
कभी सोचता हुँ की फिल्म बनाऊँगा तो मेरे डायलॉग कोई नहीं लिख पाएगा तुम्हारे सिवा.
क्यूंकी तुम मेरे किरदारों को समझोगे,
जैसे मुझे समझते आए हो अभी तक.
अब तो ना जाने तुम कौनसी दुनिया में रहते हो
और मोहब्बत किसका नाम है.
तुम्हारे मेरे बीच में क्या है ये भी मालूम नहीं..
तुम कभी थे नहीं तो क्या है जिसकी कमी महसूस होती है.
तुम्हारी बातें सोच – सोच कर अब भी क्यूँ मुस्कुराता रहता हूँ.
किसी से रुठजाते हो,
तो अब किसे बताते हो.
मेरे जैसे कोई और ढूँढ लिया है क्या?
क्या हम तुम मिलेंगे
फिर कभी या फिर ट्रेन की पटरी की तरह साथ होकर भी अलग रहेंगे हमेशा…
तुम ही तो कहते थे ना कि हमारी मंज़िलें एक हैं
तो फिर रास्ते अलग – अलग क्यूँ हो गये…???


क्यूँ सताते हो..
हमे बेगानो की तरह..
कभी तो चाहो..
चाहने वालों की तरह..

ना चाहत के अंदाज़ अलग,
ना दिल के जज़्बात अलग…
थी सारी बात लकीरों की,
तेरे हाथ अलग मेरे हाथ अलग…

वो कहती है मेरे पास रहो…आस पास रहो…
मेरे इश्क़ में दिन रात रहो,यानि कि …
बर्बाद थे ,बर्बाद हो ,बर्बाद रहो…!!


काश उन्हें चाहने का अरमान नही होता
में होश में होकर भी अंजान नही होता
ये प्यार ना होता ,किसी पत्थर दिल से
या फिर कोई पत्थर दिल इंसान ना होता !!!


कमीज के बटन ऊपर नीचे लगाना
वो अपने बाल खुद न काढ पाना
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पी टी शूज को चाक से चमकाना
वो काले जूतों को पैंट से पोछते जाना
ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना …
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वो बड़े नाखुनो को दांतों से चबाना
और लेट आने पे मैदान का चक्कर लगाना
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वो prayer के समय class में ही रुक जाना
पकडे जाने पे पेट दर्द का बहाना बनाना
ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना …
.
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वो टिन के डिब्बे को फ़ुटबाल बनाना
ठोकर मार मार उसे घर तक ले जाना
.
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साथी के बैठने से पहले बेंच सरकाना
और उसके गिरने पे जोर से खिलखिलाना
ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना …
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गुस्से में एक-दूसरे की
कमीज पे स्याही छिड़काना
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वो लीक करते पेन को बालो से पोछते जाना
बाथरूम में सुतली बम पे अगरबती लगा छुपाना
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और उसके फटने पे कितना मासूम बन जाना
ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना …
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वो games period के लिए sir को पटाना
unit test को टालने के लिए उनसे गिडगिडाना
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जाड़ो में बाहर धूप में class लगवाना
और उनसे घर-परिवार के किस्से सुनते जाना
ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना …
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वो बेर वाली के बेर चुपके से चुराना
लाल –काला चूरन खा एक दूसरे को जीभ दिखाना
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जलजीरा , इमली देख जमकर लार टपकाना
साथी से आइसक्रीम खिलाने की मिन्नतें करते जाना
ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना
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वो लंच से पहले ही टिफ़िन चट कर जाना
अचार की खुशबूं पूरे class में फैलाना
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वो पानी पीने में जमकर देर लगाना
बाथरूम में लिखे शब्दों को बार-बार पढके सुनाना
ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना …
.
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वो exam से पहले गुरूजी के चक्कर लगाना
लगातार बस important ही पूछते जाना
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वो उनका पूरी किताब में निशान लगवाना
और हमारा ढेर सारे course को देख चकराना
ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना ..
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वो farewell पार्टी में पेस्ट्री समोसे खाना
और जूनियर लड़के का ब्रेक डांस दिखाना
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वो टाइटल मिलने पे हमारा तिलमिलाना
वो साइंस वाली मैडम पे लट्टू हो जाना
ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना …
.
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वो मेरे स्कूल का मुझे यहाँ तक पहुचाना
और मेरा खुद में खो उसको भूल जाना
.
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बाजार में किसी परिचित से टकराना
वो जवान गुरूजी का बूढ़ा चेहरा सामने आना …
तुम सब अपने स्कूल एक बार जरुर जाना…!!

Ajib usul hai is duniya ka
Jinde ko girane ka
Aur murde ko uthane ka

Moin khan


उनकी नजर में फर्क आज भी नही,
पहले मुड़ कर देखते थे..
अब देख कर मुड़ जाते है ..

चुप हैं किसी सब्र से तो पत्थर न समझ हमें…..
दिल पे असर हुआ है तेरी बातो का…

“मजबूरियों के नाम पर दामन चुरा गये,
वो लोग जिन की मोहब्बतों में दावे हजार थे ।”