शाम से आँख में नमी सी है, आज फिर आपकी कमी सी है,
एक तो सुकुन और एक तुम, कहाँ रहते हो आजकल मिलते ही नही.
ऐ-दिल ज़रा मालूम तो कर,कहीं वो तो नहीं आ रहें . महफिल में उठा हैं शोर माशाअल्लाह-माशाअल्लाह
~Unka Ishq Chaand Jaisa Tha .. Poora Hua Toh Ghatne Lga .. ‘
~Aaj Ki Shaam Bhii Qayamat Kii Tarha Guzrii, Na’Jane Kya Baat Thii Har Baat Pe Tum Yaad Ay .. ‘
! वो अब भी आती है ख्वाबों में मेरे.. ये देखने की मैं उसे भूला तो नहीं…..!!
अपने Attitude का ऐसा अंदाज रखो जो तुम्हे ना समझे, उसे नजर अंदाज रखो…
छोड़ना आसान होता है लेकिन भूलना नही
साथ चलता है मेरे दुआओ का काफिला . किसमत से कह दो अकेला नही हुँ मै
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