न्यू सोचूं था अक आज एक महान रचना लिखूंगा पेज के दोस्तां तंई …

की बोर्ड पै बैठ्या ए था , माँ की अवाज आई … रै जाइए मड़ा दानें पिसवा ल्या …

एरी माँ तेरे मड़े दानेयां के चक्कर मैं आज फेर दुनिया एक महान रचना पढ़ण तै चूकगी … 😏😏😏

हर महान रचनाकार की राह में रोड़े उसके परिवार वाले ही बिछाते हैं … सइ बात है … हुंह … एकबै फेर हुंह …


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